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लेखनी प्रतियोगिता -27-Nov-2022


एक दिन उनसेजी भर जो मिलना हुआ
फिर कई दिन न घर से निकलना हुआ।

वो मुझे देख यूं मुस्कुराती रही
धूप सर्दी की जैसे आती जाती रही
फेरा उसने जो बालों में हाथ हंसके
शुरू मेरा वहीं से पिघलना हुआ।

चाय से ज्यादा मीठी थी बातें उसकी
बोलती उससे ज्यादा थी आंखें उसकी
एक पल के लिए वक्त रुक सा गया
सर से दुपट्टे का ऐसा फिसलना हुआ।

मुझसे शरमा के बातें वो करती रही
ओस जैसे मेरे मन पे गिरती रही
फिर समय देखकर जब वो जाने लगी
उसका चलना हुआ मेरा जलना हुआ ।।





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5 Comments

Khan

28-Nov-2022 09:00 PM

Bahit sundar💐👌🙏

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Gunjan Kamal

28-Nov-2022 06:50 PM

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 🙏🏻🙏🏻

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Muskan khan

28-Nov-2022 04:14 PM

Well done ✅

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